बेशर्म प्यार
बेशर्म प्यार
मुस्कुराती, तुम भी, सोच कर मेरा हाल।
मुस्कुरा सकती गर, मुस्कुराती बार बार।
शनिवार की शाम ,त्योहार सी, तेरी भी -मेरी भी।
भाग कर आ जाना, मानो सूंघ लेती बू जिस्म की,
हरकतें नागवार सी, त्योरियाँ माँ की टेडी हो जाती।
बेपरवाही कम न होती तेरी,
सब्र ख़त्म हो जाता माँ का मगर।
उछल कूद का आलम,
बेक़ाबू साँसे बयान कर देती।
चाट लेती मुँह मेरा, सलीके से बार बार।
मशहूर हो गया, हमारा बेशर्म प्यार।
नाचना पूँछ का बार बार।
वो सुनहरा शनिवार/ इतवार।
कुछ लम्हे चुरा कर रखें हैं, अनकही दास्ताँ के।
छुपा रखा है सीने में, तेरा/मेरा बेशर्म प्यार।