बेशकीमती विरासत
बेशकीमती विरासत
अब तो ऑक्सीजन की कीमत
समझना सबकी मजबूरी है,
हर एक व्यक्ति को कम से कम
एक पौधा तो रोपना ज़रूरी है,
ये पौधे बच्चों की तरह हैं
पहले हम इनकी देखभाल करते हैं
फिर बड़े होकर ये
हमारी निस्वार्थ परवाह करते हैं,
एक हरे-भरे पेड़ को देखकर
ऑंखें तृप्त हो जाती हैं
इसकी छाया में बैठकर
आत्मा मुग्ध हो जाती है,
पेड़ की वक़त पहचान कर
इनकी संख्या में वृद्धि करनी है
आने वाली पीढ़ियों को
तोहफ़े में जो देनी है,
पेड़ हमारी बेशकीमती विरासत हैं
पीढ़ी दर पीढ़ी संजोए जाते हैं
लेते ज़रा सा कुछ भी नही ये
बस बेहिसाब देते ही जाते हैं।