बेनाम
बेनाम
नहीं याद रखता
आज कल
मैं नाम,
अपना पता अपना।
सब मुुुझको
मेरे कारनामों से ही
पहचान जाते हैं।
कर न देना तुम भी
ज़िक्र कोई
बनकर दोस्त मेरा।
ब्रिजका की कलम में
लोगोंं को
स्याही कम और दाग ज़्यादा
नज़र आते हैं।
