बेहतर!!!!
बेहतर!!!!
मैं खामोश ही रहूं
तो बेहतर होगा !
ना शोर हो किसी भोर
तो बेहतर होगा !
अब अगर यूँ जुदा रहने में
तेरी ख़ुशी है बसी !
तो तेरी मुस्कान की खातिर
यही बेहतर होगा !
कुछ दो बोल तुम्हारे
कुछ दो बोल हमारे !
ना तुम कह पाए
ना मैं सुन पाया !
सोच कर सोचा तो जाना
ना कुछ खोया , ना ही पाया !
अब क्या ही रखा है
इन अनकहे किस्सों में !
साथ हो ना हो
क्या ही फर्क पड़ता है !
बस कहीं किसी ख्याल में
कभी आ गया मैं !
और मुस्करा दिए तुम
तो ज़रूर बेहतर होगा !