बेहद
बेहद
मेरा इश्क़ कुछ मेरे हद में हुआ करता था, तेरे साथ वो बेहद हो गया है..
इतने दिनों से ये दिल सिर्फ मेरा था, पल भर में बस अब तेरा हो गया है...
नज़ारे कई देखे थे हमने पर तेरे आँखों का नशा मुझे मदहोश कर रहा है...
जब से तुझे देखा दिल तो खो ही दिया था, पर अब तो धड़कन भी लापता है...
मेरा इश्क़ कुछ मेरे हद में हुआ करता था, तेरे साथ वो बेहद हो गया है...
अजनबी थे अभी तक पर फिर भी मुझे अपने से लग रहे हो,
क्या कहीं मुझे तुमसे पहली नज़र का प्यार हो रहा है...
रास्ते में तो बहुत लोग मिले थे मुझे, पर तेरे साथ लिखा हर एक मंज़र खूबसूरत लग रहा है...
ज़िदगी बीच मजधार में डूब रही थी कहीं , पर तेरे आने से मेरी भटकी नाव को किनारा मिल गया है...
मेरा इश्क़ कुछ मेरे हद में हुआ करता था, तेरे साथ वो बेहद हो गया है...
लगता है यही रुक जाऊँ तुझे सिर्फ अपना बना लूँ दिल तो मेरा यही मिन्नतें कर रहा है...
तेरे इस हसीं के खज़ाने से फ़क़ीर सा मेरा दिल आज खुशी से भरा नवाब बन चुका है...
तुझे खो ना दूँ कहीं इस भीड़ में, इस डर से ये नादान दिल ख़ुदा से हर पल मिन्नतें मांग रहा है...
मेरा इश्क़ कुछ मेरे हद में हुआ करता था, तेरे साथ वो बेहद हो गया है..