काश
काश
काश तू आज यू दूर ना होती,
और लिपटी हुई होती बाहों में मेरे।
तेरे बालों की सौंधिसी खुशबू हो और
कुछ दाग तेरे लिपस्टिक के लगे हो कमीज़ पे मेरे।
वैसी बेखौफ मुलाखते फिर से हो कहीं
और मै डूबा रहूं यूहीं आंखो में तेरे।
काश तू आज यू दूर ना होती,
और लिपटी हुई होती बाहों में मेरे।
मेरे शर्ट को कमीज़ बनाती तू
और झुकता तेरा सर कंधे पे मेरे।
यूं अनगिनत सी बाते करती और वो नादान सी
बलों की लट आ गिरती चेहरे पे तेरे।
मैं संवरता उस लट को अपनी उंगलियों से और
तू कसकर थाम लेती दोनों हाथ मेरे।
काश तू आज यू दूर ना होती,
और लिपटी हुई होती बाहों में मेरे।
वापिस आजा अब, कब तक यू हीं सुभा शाम
ख़यालो मे ढूंढूंगा मैं हमें।
जुदाई का ग़म तो बहुत है
इस दिल में पर तेरी कमियाबियो पे भी तो नाज़ है मुझे।
तू डरना मत इन दूरियों से
कुछ कर नई सकती ये अपना,
बस इतना याद रख आज भी वो तेरी ही
खूबसूरत सी हँसी दिल के सबसे करीब है मेरे।
