इन्सानियत वाला हिन्दुस्तान।
इन्सानियत वाला हिन्दुस्तान।


मकान मिल जाते है पर अब
इन्हें फिर से घर कैसे बनाऊं।
वो बेजान पड़ी बस्तियों को
फिर से मोहल्ले जैसा कैसे सजाऊं।
कितने मकान टूटे होंगे, जल के राख हुए होंगे
मज़हब के सियासात में।
फैले हुए भ्रष्टाचार को अब जड़ से कैसे मिटाऊँ।
कई मासूम बच्चे अनाथ हुए इस मंदिर मस्जिद के लड़ाई में।
इन हैवानियत भरे मुर्दों को फिर से इन्सानियत कैसे सिखाऊँ।
कई बार पूछता हूं इस ख़ुदा से अगर तूने ही बनाया
तो ये भेदभाव क्यों सिखाया।
तू ही बता कोई रास्ता इस टूटे हुए देश को
एक जुट हिंदुस्तान कैसे बनाऊं।