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बारिश की बूंदें और वो

बारिश की बूंदें और वो

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बारिश की बूंदों कुछ मेरे चेहरे पे यूँ आ गिरी,

जैसे तेरी सारी यादें दिल में ताज़ा कर गई।

वो पहली मिट्टी की खुशबू हवा में फेलते ही

मुझे तेरी रूह की सादगी याद दिला गई।


ये प्यारा मौसम हर पल तेरी खुबसूरती के

किस्से याद दिला रहा हो जैसे,

और वो गरम चाय की मेहक मेरे रोम रोम को

तेरी उन बातों जैसे ताज़ा कर गई।


ये बारिश की बूंदों कुछ मेरे चेहरे पे यूँ आ गिरी,

जैसे तेरी सारी यादें दिल में ताज़ा कर गई।

आस लगाए बैठा था मैं यू ही आज भी

अपने आंगन मैं जो तू आये और मुझे

खींच के इस बारिश में भिगाएगी।


पर इस जोर से बहने वाली हवा यूँ

मेरे मुंह से आ टकराई,

कि एक पल में सारे सपने तोड़

अपनी हकीकत याद दिला गई।

अब यही सोचता हूं कहीं तू भी कहीं बैठे

ऐसे ही मुझे भी याद करती होगी।


अपनी वो सारी हरकतें और वो सारे किस्से

खुद से ही गुनगुनाती होगी।

दुआ करता हूं खुदा से जहां भी तू हो

इन बारिश की पहली बूंदों ने तेरे चेहरे पे भी

वो प्यारी सी मुस्कान लाई होगी।


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