...बेहद खास है।
...बेहद खास है।
सुनो ना..,
गुमनाम सा हो गया था नाम मेरा,
था अकेला और बेबस जब थामा तूने हाथ मेरा,
गुमनामी के समंदर में खुशियों की लहर
और गलती करने पे वो गुस्से का कहर
उतार-चढ़ाव वाले जीवन का स्थिर होना,
और वो मेरे रोने पे साथ तेरा भी रोना,
.....बेहद खास है..!
एक रहस्यमयी किताब की तरह मुझे पढ़ना
और मेरे ख्याल ना रखने पे तेरा मुझसे लड़ना,
लड़कर भी मुझसे तेरा दूर ना रह पाना,
और करलूं गर किसी से बात तो तेरा डर जाना,
साथ होने पर, वो तेरे-मेरे चेहरे की खुशी,
और मुझे परेशान करते समय तेरी वो नादान हंसी,
.....बेहद खास है..!
वो मेरे चिढ़ाने पर तुम्हारा गुस्से वाला चेहरा.,
और वो तुम्हारी आँखों पे काजल का पहरा,
मेरा तुम्हारे बालों को बिगाड़के फिर सुलझाना,
और तेरा रूठकर वो मुझपे अपना हक़ जताना,
अतीत से आज के सफर में तुम्हारा साथ,
और दूर होकर भी साथ होने का वो एहसास,
.....बेहद खास है..!