बेफ़िक्र हैं
बेफ़िक्र हैं
बेफ़िक्र हैं चारों औऱ,
कोई ख़ौफ़ नहीं।
ग़म के साँयों में हैं,
डूबा आज सारा
देश क्या करें हैं,
लाचार उनसे
आज हमारा देश,
क्रोध में चला प्रहार
उससे जब हुआ
अनर्थ क्यों.?
देह से देहरी पर
आज जाँ बेफ़िक्र
क्यों.?
होकर यह बेख़ौफ़ हैं
आज वह देश
में क्यों.?
सनक पड़ी उसे ऐसी
करने लगा
अत्याचार देश
विदेशों में मचा रहा
चारों औऱ हाहाकार
क्यों.?
क्या होगा जब
हम पर भी प्रहार
होगा।
हुआ वहां सब
कुछ तबाह,
निरन्त वह करता
जा रहा
प्रहार क्यों.?
अंधकार ही अंधकार
से आठ दिन हुए
विपरीत पड़ा
परिस्थितियों
में आज सारा देश क्यों.?