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Vimla Jain

Tragedy Action Classics

4.7  

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

बेचैन दिल

बेचैन दिल

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कभी-कभी यह दिल बेचैन होता 

दिल बेचारा दुश्चिंता ओं का मारा।

जरा जरा सी बात पर बेचैन हो जाता।

कभी परीक्षा का रिजल्ट।


कभी खून के जांच का रिजल्ट।

कभी नौकरी के इंटरव्यू का रिजल्ट।

कभी कोई समय से ना आया हो ।

कभी कोई समाचार ना आया।

है दुश्चिंताओं में भरा यह दिल।

इतना बेचैन हो उठता है कि

जब तक सब सही नहीं हो।

शांत होने का नाम नहीं लेता।


फिर एक दिन मैंने मेरे दिल को समझाया

क्यों रे जीवड़ा तू इतना बेचैन रहता।

थोड़ा भगवान पर भरोसा कर,

जो होगा है अच्छा होगा।

आने वाली आफत से क्या घबराना।


हिम्मत से काम ले कुछ भी बुरा नहीं होगा।

है तेरा ईश्वर तेरे साथ फिर यह घबराना कैसा।

अगर एक जगह कुछ तकलीफ है तो,

दूसरी जगह उसका हल भी है।

इसलिए ए बेचैन दिल तू घबराना छोड़ दे।


और मैंने घबराना छोड़ दिया।

अब तो जो परिस्थिती होगी उससे निकलेंगे।

कभी ना हम घबराएंगे।

हर परिस्थिति से निकल ही जाएंगे।


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