बेचारी
बेचारी


मर्यादा के बंधनों कोसंस्कारों की बेड़ियों कोजब तक पहने रहेगी नारी। तब तक बनी रहेगी बेचारी। धर्म के नाम परलाज का परदाजब तक ओढ़े रहेगी नारी।तब तक बनी रहेगी बेचारी।
ममता की मूरत समता की सूरतजब तक खुद मानेगी नारी। तब तक बनी रहेगी बेचारी। पिता की दुलारीपति की प्यारीजब तक बनी रहेगी नारी। तब तक बनी रहेगी बेचारी। देवी का अवतार शक्तियों का भंडारजब तक बनी रहेगी नारी।तब तक बनी रहेगी बेचारी। हक है तेरा आज समानतू नहीं कोई वस्तु सामानतू छोड़ दे अपनी सब लाचारी।मत बनकर रहना अब बेचारी। गुलामी की बेड़ी तोड़ो बुरी रीत रिवाज़े छोड़ोपूरी करले अपनी इच्छा सारी। मत बनकर रहना अब बेचारी। खुद को इतना समर्थ बनाले पुरूष बने ना फिर रखवाले तेरी संविधान ने तकदीर सँवारी। मत बनकर रहना अब बेचारी।