बेबसी
बेबसी
यहाँ एक पल का भरोसा नहीं है जिंदगी का
और आदमी ना जाने किस अकड में जी रहा है
कल जो शक्स शोहरतों में जिंदगी जी रहा था
वो एक सफेद चादर में लिपटा राह तक रहा है
कोई तो उसके शरीर को शमशान तक ले चले
उसके अपने लोग भी बेबस-खामोश देख रहे हैं
जीवन के डाल पे बैठ़ा पंछी उड़ चला अनजानी दुनिया में
अपना घोंसला, अपनें साथी सबको रख के परे जा रहा हैं
अधमरी सी कई कोशिशें जिंदगी जीने की करके देखी
पर एक साँस भी न मिली शरीर से आत्मा का साथ छूट रहा है
कुछ नहीं यादों के सिवा जिंदगी में हर एक पल खुशी से जियो
वरना पता नहीं कहाँ से मौत का फरमान आ रहा है.
