बदल दे तकदीरें
बदल दे तकदीरें
थोड़ी सी फ़ुर्सत निकाल
और बैठ पीपल की छांव में
चलना ही है खेल जीवन का
मत देख तू छाले पांव में
जीवन को कर साकार तू
बदल दे अपनी तकदीरें
मत सोच तू अब दुनिया की
तोड़ दे सारी जंजीरें
भाग्य तेरा कदमों में होगा
गहरी होगी हाथों की लकीरें
थोड़ी सी फ़ुर्सत निकाल
ये बेरुखी क्यों है अपने लिये
उड़ जा हवाओं में तू आज
दिल में कुछ सपने लिये