बचपन
बचपन
ढूंढता हूँ आज भी सुकून के कुछ पल
बचपन की यादों को टटोल के देखा तो जी चूका हूँ वह पल
मानता हूँ पैसे नहीं थे उतने पर
मज़ा तो खूब किया दादी माँ के उन चवन्नी अठन्नी मे
हो सके तो उन पलों को फिर से जी जाऊ
पर उम्र का तकाज़ा है जो रोके हुए है!
