STORYMIRROR

Pooja Kalsariya

Children

3  

Pooja Kalsariya

Children

बचपन

बचपन

1 min
222

 बचपन के दिन होते है चार न आएंगे बार-बार

 गोलगप्पे का वह स्टाल मोटी सी वह फुटबॉल

 चॉकलेट-टॉफी के वो डिब्बे रहते घर में हमेशा सब के

       टन-टन करता स्कूल का घंटा

       टीचर जी का मोटा सा डंडा

   मिट्टी के वे सुंदर किले,

   गुड़िया के कपड़े सिले

       सुंदर फूलों को तोड़ना,

       खूब पटाखे फोड़ना

   होता बचपन बड़ा मज़ेदार,

   कभी मत खोना इसे मेरे यार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children