बचपन से पचपन
बचपन से पचपन
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बचपन से पचपन
हर बात है निराली
प्यार मोहब्बत झलकता
अलग ही प्याली ।
बचपन में जो करते
वह पचपन के बाद भी कर जाते
बच्चे और बूढ़े में
अंतर ना कर पाते ।
ज्यों- ज्यों उम्र बढ़ती जाती
बचपना लौटने लगता
थोड़ा जिद्दी , थोड़ा नटखट
मन फिर से होने लगता।
पहले बच्चे थे
तब नहीं सुनते थे
और अब बड़े हो गए
इसलिए सुनना पसंद नहीं करते।
पचपन तक तो फिर भी हाल ठीक है
पचपन के बाद तो सब बेहाल है
लोग कहते हैं आफ्टर फोर्टी मैन इज नॉटी
सच में बढ़ती उम्र के किस्से कमाल हैं ।
अनुभव की चरम पराकाष्ठा
कोई स्वर्ण कोई भस्म
सब कर्मों का खेल
कोई पास कोई फेल ।