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Dr. Chanchal Chauhan

Children

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Dr. Chanchal Chauhan

Children

बचपन के प्यारे पलों की याद

बचपन के प्यारे पलों की याद

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याद कर अपने बचपन की शैतानी को तो मज़ा आ जाता है

ना होती थी हमें कोई चिंता और ना ही किसी बात का डर


क्यूंकि करते थे माता पिता अपने से ज़्यादा हमारी फ़िक्र

वो रिक्शेवाले का रोज़ आकर घर के बाहर आवाज़ लगाना


फिर कोई ना कोई अच्छा बहाना करके स्कूल ना जाना

फिर माँ का समझना कि रोज स्कूल है जाना


फिर मां को प्यार से मनाना और बाद में

फिर पकौड़े समोसे जलेबी का खाना


माँ का प्यार से बालों को सँवारना चोटी बनाना

भुला नहीं सकती बचपन से जुड़े हर लम्हों को,


इन्हीं लम्हों को याद कर आज भी उमंगे लेता मेरा मन

काश कोई लौटा दे हमें बचपन के ये प्यारे दिन

मस्ती भरे प्यार भरे उमंग भरे यह बचपन के दिन।


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