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aazam nayyar

Abstract Inspirational Children

4  

aazam nayyar

Abstract Inspirational Children

वफ़ा प्यार से

वफ़ा प्यार से

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वफ़ा प्यार से ही ग़रीब हूँ बहुत 

रहा ज़ीस्त में बदनसीब हूँ बहुत 


जिसे हाल दिल का सुना सकूं यहाँ 

नगर में वो ढूंढूं हबीब हूँ बहुत


न जज़्बात समझा कभी यार वो

रहा जिसके ही मैं क़रीब हूँ बहुत


करें टूटे दिल का इलाज जो मेरे 

नगर में वो ढूंढूं तबीब हूँ बहुत


जिसे दोस्त माना बहुत करीब का

उसी की नज़र में रक़ीब हूँ बहुत


न आज़म लबों पर हंसी है यहां तो

मुहब्बत वफ़ा से ग़रीब हूँ बहुत... 



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