STORYMIRROR

aazam nayyar

Abstract Action Inspirational

4  

aazam nayyar

Abstract Action Inspirational

दीपावली

दीपावली

1 min
342


उसे घर आज अपने ही बुलायेंगे 

उसे ही खीर उल्फ़त की खिलायेंगे 


बढ़ेगा प्यार दीवाली से हर दिल में 

सभी के साथ में दीपक जलायेंगे 


मिटेंगे सब अंधेरे नफ़रतों के ही 

मुहब्बत के यहाँ दीप झिलमिलायेंगे


ढलेंगे दिन वतन से ही गमों के सब 

ख़ुशी हर चेहरे पे ही राम लायेंगे 


दीवाली दे रही पैगाम उल्फ़त का 

घरों पे दीप देखो जगमगायेंगे


भुला दो नफरतें दिल से सभी अपने 

सभी मिल के ही दीवाली मनायेंगे


मुहब्बत का जलाकर दीप ऐ आज़म 

गले इक दूसरे को ही लगायेंगे 




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract