राम लला की अठखेली,
राम लला की अठखेली,
सूर्यवंश में गूंजी है ध्वनि मृदंग की,
चारों ओर है लालिमा राम जन्म की,
जगमग उठी अवध पुरी सारी,
सुन के राम की पहली किलकारी,
झूले पालने में लाला देखो अठखेली करे,
कभी पानी में चंद्र छूकर आनंदित हुए,
राम राम का तेज पूरी नगरी में है,
दीप जगमग है बाती भी पुलकित हो उठे,
कैसी छवि निराली माता जाए बलिहारी,
सारे भाई संग रचते ना जाने क्रीड़ा राम कैसी,
बालपन में हरी ने क्या माया रची,
नन्हे पैरो में राम के पाजेब छम छम है बजी,
राम की झलकी पाने को अयोध्या एक टक खड़ी,
भजनों पर थिरके हर गली नगर की,
सरयू की बूंदें भी झलकी धोने राम के चरणों को,
अवध सारा ही महके जैसे अनंतकाल का उत्सव हो,
देव करे पुष्प अर्पण राम आशीष दे रहे,
ये चित्र है कैसा राम मन ही मन मानो कुछ कह रहे,
राम नाम जप रहे मुनि ऋषि आदि सब,
स्तुति बजे कभी कभी मंत्रों के ताल पर झूमे है सब।