STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

बच्चों की मस्ती

बच्चों की मस्ती

1 min
515

खुशियों और मस्ती का अहसास,

सिर्फ बचा है अब बच्चों के पास।


खुशी के उत्सव इनका जन्मदिन,

मस्ती के दिन रखते हैं गिन-गिन।

है हर खुशी अधूरी बच्चों के बिन,

इनका सानिध्य खुशी का आवास।

खुशियों और मस्ती का अहसास,

सिर्फ बचा है अब बच्चों के पास।


स्कूल देवालय पार्क और उद्यान,

हर जगह की है बच्चों से शान।

सबको निज बच्चों पर अभिमान,

निज मात-पिता की ये हैं जान।

इनसे घर में रौनक और खुशहाली,

इनके बिन रहता घर पूरा उदास।

खुशियों और मस्ती का अहसास,

सिर्फ बचा है अब बच्चों के पास।


आज के बच्चे हैं देश का कल,

करेंगे हर समस्या का ही हल।

हम सब रखें सदा इनका ध्यान,

ये सब कल बनेंगे देश की शान।

इनकी उन्नति है देश की उन्नति,

इनका विकास देश का विकास।

खुशियों और मस्ती का अहसास,

सिर्फ बचा है अब बच्चों के पास।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract