बच्चे
बच्चे
घर में होती है जिनसे रौनक, दिल के सच्चे प्यारे बच्चे।
बातों में इनके नादानी, कभी-कभी करते शैतानी।
कभी पढ़ाई, कभी लड़ाई, इनकी आवाजों में गूंजती शहनाई।
खेले बच्चे खेल कई, इनकी बातें नयी नयी।
बाल हठ कभी करें, कभी मचाये शोर।
बच्चों के हँसते खेलते चेहरे दूर करे निराशा।
इनकी भोली सी बातों में है जीवन जीने की आशा।।
