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bhagawati vyas

Abstract

4.8  

bhagawati vyas

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बच्चे हुए सयाने हैं

बच्चे हुए सयाने हैं

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आज उमरिया पीछे छूटी,

बच्चे हुए सयाने हैं !


तौर तरीके नए नए हैं,

नूतन दौर है शिक्षण का !

समय आ गया ऐसे लगता,

गुरुओं के पुनरीक्षण का !

खोज रहे अपने वजूद को,

लगता दूर ठिकाने हैं !


ज्ञान किताबी बहुतेरा है,

शून्य हुए व्यवहारों में !

बचपन खोया खोया लगता,

शिक्षा के गलियारों में !

मंजिल नजरों से ओझिल सी,

अभी चलन मनमाने हैं !


नई दिशाएं, नई राह पर,

नजर हमेशा रहती है !

नित नवीन चेतनता पल पल,

चंचलता डग भरती है !

खोज रहे अपने वजूद को,

लगता दूर ठिकाने हैं !


कदम कदम पर सबक मिले जो,

ये जीवन की थाती है !

अनुभव जितने मिले बटोरें,

घड़ी इन्हे दुहराती है !

शीर्ष पहुंचती अगर सफलता,

अधरों बसे तराने है !


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