बच्चा मेरा मन
बच्चा मेरा मन
मेरे अंदर रहता है इक बच्चा
भोला भाला सा खेलता रहता है मुझसे
कभी हंसाता है तो कभी रुलाता भी है,
कभी अपने भोले प्रश्न पूछकर हैरान भी कर देता है
कभी डांट कर जीने की कला भी सीखा देता है
कभी डर कर मुझसे लिपट भी जाता है
मेरे अंदर का यह बच्चा बड़ा नहीं होना चाहता
मुझे अपनी तोतली भाषा में कहता है
मेली दुनिया में आजाआओ
सच्ची मुच्ची तुम्हाली दुनिया से अच्छी है...!
