बात नही करता
बात नही करता
आजकल मै किसी से बात नहीं करता।
क्योकि मेरे सिवा कोई मुझसे बात नहीं करता।
मेरी बातों मे अजीब सी ख़ामोशी छाई है।
जिंदगी की उम्मीद ने मौत की तस्वीर दिखाई है।
जिंदा हूँ मगर मुर्दो के बीच रहता हूँ।
बस राख का ढेर नहीं हुआ,आग की तपिश सा सिकता हूँ।
बस मंजिल ही नहीं मिलती।
बाकि किनारो को मझधार समझ लेता हूँ।
रहबर तो मिल गया है।
पर रास्तो सँग चलने को मंजूरी नहीं मिलती।
खूब साथ दिया उसने भी मेरा।
न मुझे गिरने दिया ना मुझे जमीन से उठने दिया।