Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shubhra Varshney

Inspirational

4.2  

Shubhra Varshney

Inspirational

बात करें आजादी की

बात करें आजादी की

2 mins
32



बात करें आजादी की

और उसकी अभिव्यक्ति का मेरा इरादा

सुकून और समझ में हो गई तकरार

बेचैनी से कर लिया वायदा।

बात करें आजादी की

और तमन्नाओं से परे की सोच का दौर

तूफ़ां से पहले की ख़ामोशी और

फिर उपजा बहुत सारा शोर।

बात करें आजादी की

और ज़ेहन और रूह की तकरार

नासाज़ सी अभिव्यक्ति की कीमत

फिर उतरता देशभक्ति का बुखार।

बात करें आजादी की

नवांकुरो के ख्वाबों की

बनती बेफिक्र तस्वीर

हुनरमंदी की हवा में मिलती

फिर ख़ुशनसीबी सी तकद़ीर।

बात करें आजादी की

तमन्नाओं का उमड़ता उफान

सहमे दरकते जज़्बात

थकाती कोशिशें और

रुकावटो का तूफ़ान।

बात करें आजादी की

सवालात के पीछे के सव़ाल

बेरहम सच्चाई का दौर

कलम का मचता बव़ाल।

बात करें आजादी की

दुख जैसे समंदर के तले की गहराई

ज़िंदगी की जलाती धूप

अपनों की रुसवाई।

बात करें आजादी की

अपनों के अंदर जमता मैल

लव़ो की झूठी मुस्कुराहटें

 खड़ा शोहरत का महल।

बात करें आजादी की

दिखता स्याह होता सच का दुशाला,

आगे बढ़ने की होड़

पस्त करती मक्कारी की पाठशाला।

बात करें आजादी की

व़क्त की बेतहाशा तेज रफ़्तार,

ज़ीने का बेदम करता जोख़िम

उस पर जान बनी व्यापार।

बात करें आजादी की

थकी हुई सांसें भागती ज़िंदगानी

भागता सिसकता शहर

बदलती रोज़ यहाँ हर एक कहानी।

बात करें आजादी की

हंसती है फ़िज़ा दुखी है इंसान

आती मौत भी वक़्त बेवक्त

लगे अनचाही मेहमान।

बात करें आजादी की

हांफ़ती रुह तरक्की की पुकार

उखड़ते जमते मासूम पैर

सिर पर खिंचती बेरहम तलवार।

बात करें आजादी की

हर नई सुबह टूटता नया सपना

ख़ुद परस्ती के इस दौर में

बेवफ़ा लगे हर अपना।

बात करें आजादी की

कभी यह तेरा कभी यह मेरा

चकाचौंध दुनिया में

धूमिल होता हर नया सवेरा।

बात करें आजादी की

नई ख़ून का दौर मतलबी अंगड़ाई

सिकुड़े दिल जकड़ा द़िमाग

हो गयी रिश्तो की जगहंसाई।

बात करें आजादी की

चुग़लख़ोरी का बाज़ार बना जरूरतों का गुलाम

ह़कअदाई भी दुनिया में

लगता है अब अधूरा सा काम।

बात करें आजादी की

चुहलवाज़ियों पर जन्मों से जाई आदतें

पत्थर बरसाती दुनिया

तिस पर पखरी पुरानी ताकतें।

बात करें आजादी की

अंधमुंदी आंखों में खोया हुआ चांद

वक्त की तग़ाफ़ुल पर

भारी पड़ता तपता उन्माद।

बात करें आजादी की

सदियों से सड़ती जड़ों से रिसता हुआ रक्त

मर्यादा की बेड़ियों से जकड़ा

कसमसाता है बदनसीब वक़्त।

बात करें आजादी की 

और उसकी अभिव्यक्ति का मेरा इरादा

सुकून व समझ में हो गयी तकरार

बेचैनी से कर लिया वायदा।



Rate this content
Log in