"बालाजी को सौंप दी बागडोर"
"बालाजी को सौंप दी बागडोर"
बालाजी को सौंप दी, मैंने तो जीवन बागड़ोर
अब चाहे कितना ही लगा ले, यह ज़माना जोर
साखी को झुका नहीं पायेगा कोई भी ओर
उसके पास है, हनुमानजी की भक्ति घनघोर
अब अँधेरा भी रहेगा, अपने लिये तो भोर
जब तक बंधी, हनुमानजी से सांसों की डोर
जानता हूं, यह ज़माना तो है, बड़ा चुगलिखोर
अपनी भक्ति को बतायेगा, दिखावे का मोर
तू न घबराना, बालाजी पर करना भरोसा घोर
उनके सिवा, यह सारा ज़माना स्वार्थी मुंहजोर
हर पल, हरक्षण उसको ही याद करना बहोत
बुझने न देना कभी भी भीतर भक्ति की जोत
विश्वास प्रबल है, तेरी कश्ती कितने लगाये गोत
भव पार होगी, नाव, भक्ति है, चमत्कारीक बहुत
अपूर्ण ज़माने से कभी भी तू नाता मत जोड़
पूर्ण परमात्मा बालाजी, से तू सिर्फ रिश्ता जोड़
बालाजी के सिवा सब के सब रिश्तेदार है, चोर
गरीबी में देंगे साथ छोड़, कहेंगे तू कौन है, बोल?
इस ज़माने को दे, दे, जवाब तू साखी मुंहतोड़
हृदय में बसा उसे, कचरा फेंक बाहर की ओर
जिसकी हनुमानजी के सहारे चलती जिंदगी
उसके जीवन में कभी न आती रात्रि घनघोर
उसके जीवन में सदा ही रहती है, भोर ही भोर
जिसकी सांसे चलती, सदा भक्ति पथ की ओर
बालाजी को सौंप दी, मैंने तो जीवन बाग़डोर
अब तो दुःख भी लगता है, मुझे सुख की कोर
जिसके पास भक्ति उसे क्या लूटेंगे पाँचों चोर
थर थर कांपे कलि, बालाजी भक्ति ऐसा जोर
गर इस जिंदगी में, सुख चाहते हो, तुम बहुत
भीतर हनुमत भक्ति का कर लो, प्रचंड विस्फोट
सांसारिक कचरे का हो जाएगा, स्वत:निस्तारण
बालाजी की भक्ति से तो नाचे, पत्थर के भी मोर
