बाल मजदूर
बाल मजदूर
है कोई मज़बूरी या
जानबूझकर जुल्म ढाये जा रहे हैं
क्या गलती है इन मासूमों की जो
बाल मज़दूरी कराये जा रहे हैं l
बच्चे बेचारे बचपन खोये जा रहे हैं
छोटी सी उम्र में ही
शोषण के शिकार हुए जा रहे हैं l
कहीं ग़रीबी की मार है
तो कहीं जबरजस्ती का अत्याचार है
कोई तो वजह है
इन सब का
आखिर कौन जिम्मेदार है l
एक तरफ है भूख
तो दूसरी तरफ है शिक्षा
नन्हे हाथों की मजदूरी से
अपनी कौन -कौन सी शौक
पूरी कर पायेगा ये बच्चा l
स्कूल की ओर जाते बच्चों को
ज़ब-ज़ब ये बाल मज़दूर देखते होंगे
काश की मैं भी स्कूल जा पाता
मन ही मन यही सोचते होंगे l
अपनी हालातों से कितने मज़बूर होंगे ये
बच्चे होकर भी बचपन से कितने दूर होंगे ये l
ना जाने कितनी ख्वाहिशें
और मन की मर्जियाँ होंगी इनकी
किस्मतों से भी ना जाने
कितनी शिफारिशें और अर्जियां होंगी इनकी।