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Madhuri Jaiswal

Tragedy

4  

Madhuri Jaiswal

Tragedy

बाल मजदूर

बाल मजदूर

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330



है कोई मज़बूरी या 

जानबूझकर जुल्म ढाये जा रहे हैं 

क्या गलती है इन मासूमों की जो 

बाल मज़दूरी कराये जा रहे हैं l


बच्चे बेचारे बचपन खोये जा रहे हैं 

छोटी सी उम्र में ही 

शोषण के शिकार हुए जा रहे हैं l


कहीं ग़रीबी की मार है

तो कहीं जबरजस्ती का अत्याचार है 

कोई तो वजह है

 इन सब का 

आखिर कौन जिम्मेदार है l


एक तरफ है भूख 

तो दूसरी तरफ है शिक्षा 

नन्हे हाथों की मजदूरी से 

अपनी कौन -कौन सी शौक 

पूरी कर पायेगा ये बच्चा l


स्कूल की ओर जाते बच्चों को 

ज़ब-ज़ब ये बाल मज़दूर देखते होंगे  

काश की मैं भी स्कूल जा पाता

मन ही मन यही सोचते होंगे l


अपनी हालातों से कितने मज़बूर होंगे ये 

बच्चे होकर भी बचपन से कितने दूर होंगे ये l


ना जाने कितनी ख्वाहिशें

और मन की मर्जियाँ होंगी इनकी 

किस्मतों से भी ना जाने

 कितनी शिफारिशें और अर्जियां होंगी इनकी।


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