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हवाओं के झोंके ज़ब यूँ छूकर गुज़रती हैं। हवाओं के झोंके ज़ब यूँ छूकर गुज़रती हैं।
है कोई मज़बूरी या जानबूझकर जुल्म ढाये जा रहे हैं। है कोई मज़बूरी या जानबूझकर जुल्म ढाये जा रहे हैं।
आपसी मनमुटावों को समाज से छीपा कर बंद दरवाजे के पीछे नासमझ बच्चों को दिखाते हैं। आपसी मनमुटावों को समाज से छीपा कर बंद दरवाजे के पीछे नासमझ बच्चों को दिखाते ह...
अंदर ही अंदर घुट घुट के जीता मरता है सब ठीक है मुझे अकेला छोड़ दो, अंदर ही अंदर घुट घुट के जीता मरता है सब ठीक है मुझे अकेला छोड़ दो,