बाजारवाद
बाजारवाद
आज की दुनिया का बाज़ारवाद
कैद कर रहा है प्रतिभा का बाज
कुछ प्रतिभा तो दम तोड़ देती है,
बीच राह मे वो सांस तोड़ देती है,
ये प्रतिभा को कर रहा है,बर्बाद
आज की दुनिया का बाजारवाद
अमीरों को ही कर रहा है,आबाद
गरीब विज्ञापन कर नही सकता है,
फूल कागज का कर नही सकता है,
ये बाज़ारवाद छीन रहा है,आज़ाद
बहुत से चराग़ अंधेरे में खो गये है
ये अंधेरे नोंच रहे है,रोशनी के बाल
आज की दुनिया का बाज़ारवाद
बन रहा है कस्तूरी मृग का काल
कभी तो ये बाज़ारवाद खत्म होगा,
कभी तो ख़ुदा का हम पे रहम होगा,
हम सांसो को कर रहे है,विकराल
आज की दुनिया का बाजारवाद
हमारी एकता से ही होगा बेहाल