बाहर ढूँढा भीतर पाया
बाहर ढूँढा भीतर पाया
जब मैं मंदिर गया
राम से मिलने, श्याम से मिलने
मुझे वहाँ
पंडित मिले
पुजारी मिले
भगवाधारी मिले
पर ना जाने क्यों भक्त नहीं मिले
जब मैं मस्जिद गया
अल्लाह से मिलने, खुदा से मिलने
मुझे वहाँ
फ़रियादी मिले
क़ाज़ी मिले
फ़कीर मिले
पर ना जाने क्यों नमाज़ी नहीं मिले
जब मैं गिरिजाघर गया
ईशु से मिलने, जीसस से मिलने
मुझे वहाँ
फादर मिले
सिस्टर मिली
पॉप मिले
पर ना जाने क्यों प्रार्थी नहीं मिले
जब मैं गुरूद्वारे गया
बाबाजी से मिलने , गुरूजी से मिलने
मुझे वहाँ
बीबीजी मिली
भैयाजी मिले
रागी मिले
पर ना जाने क्यों साध संगत नहीं मिली
अंत में जब मैं स्वयं के साथ
एकांत में बैठा और आँखें मूँद कर के देखा
तब मुझे
राम- श्याम- ईशु- अल्लाह -बाबाजी
सब एक साथ मेरे पास ही मिले।
