बाबा विश्वनाथ
बाबा विश्वनाथ
आज से बीस साल पहले जब बाबा जी के दर्शन करने पहुँची थी, तब कुछ पंक्तियां अनायास ही आ गयीं मन में। आज का नहीं मालूम क्या स्थिति है। सुन रहे हैं, सब कुछ बदल गया है।
बाबा विश्वनाथ
देखो देखो प्रभु दासों के दास हो गये।
पानी अंदर ढूँढ़ रही तुम कहाँ को गये।।
तुम हो जग के या पंडो के सोच रही हूँ।
कैसे बैठे हो पानी में यह देख रही हूँ।।
कैसे -कैसे लोग यहाँ पर आते -जाते।
रुपया -पैसा, फूल ,रेवड़ी खूब चढ़ाते।।
अपने लिए मांगते सब, अच्छा-अच्छा।
रुपया -पैसा मोटर गाड़ी, बंगला, बच्चा।।
तुम तो बैठे हो पानी में शिव डूबे हुए नीचे।
ऊपर-ऊपर पार हो रहे प्राणी अंखियां मींचे।।
जितना देखा तुमने 'मीरा,' उतनी हुई निराशा।
उद्धार को आकुल देवी देवता दिखी न कोई आशा।।
