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Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

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Tanha Shayar Hu Yash

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अवकाश न भरना

अवकाश न भरना

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अब की बार तुम

निराश ना करना,

जागते रहना दिन भर

अवकाश न भरना।


रात बनी सोने को

दिन मंज़िल का सफर,

दौड़ते रहना राह पर

अवकाश न भरना।


ज़िंदगी जीना पलों में

दुनियादारी में चलकर,

बुनियाद बनाना पत्थर सी

अवकाश न भरना।


काँटों में भी सो जाना

चाहे फूलों से जलकर

खुशबू ही खुशबू करना

अवकाश न भरना।


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