अस्तित्व
अस्तित्व
बहुत दूर नहीं, बहुत पास नहीं मैं
मैं तो तेरे अहसासों में हूँ,
बहुत महंगी नहीं, बहुत सस्ती नहीं
मैं तो तेरे विश्वास में हूँ,
मैं आज भी हूँ और कल भी रहूँगी
मैं तो तेरे अल्फ़ाज़ों में हूँ,
मैं कहती रहीं, मैं सहती रहीं
मैं तो तेरे जज़्बातों में हूँ,
कौन हूँ मैं ?
जानकर भी जान न पाई
साथ जिसने हरदम निभाई,
वो कोई और नहीं,
वो तो मेरा ही अस्तित्व था,
मेरी ही परछाई l