यूँ ही .... बस
यूँ ही .... बस
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कुछ कह देती हूँ
कुछ कर देती हूँ
परिस्थितियों के साथ
अनुभवों की बातों से
कुछ किस्स्से कहानियां
गढ़ देती हूँ
"मैं " तो बस यूँ ही
कुछ पाने के लिए
कुछ मुस्कुराने के लिए
कुछ अपनों के बीच गुनगुनाने के लिए
मंजिल की ओर चल देती हूँl