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Minakshi Prakash

Abstract

3.4  

Minakshi Prakash

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कैसे पहचान लेती हो ? ..माँ

कैसे पहचान लेती हो ? ..माँ

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मैं तो तेरी परछाई हूँ, माँ 

तुझमें ही समाई हूँ, माँ 


बिन कहे भी कैसे ? माँ 

सबकुछ जान लेती हो ? तुम 


मेरी तकलीफों को 

बिन शब्दों के भी 


कैसे पहचान लेती हो ?.. माँ 


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