STORYMIRROR

Pooja Kalsariya

Abstract

4  

Pooja Kalsariya

Abstract

तुम

तुम

1 min
149


दिल की चाहत 

कल भी तुम थे

आज भी तुम हो


मेरी ज़रूरत 

कल भी तुम थे

आज भी तुम हो


तुमने तो मुझे कबका

भुला दिया 

मेरी आदत 

कल भी तुम थे

आज भी तुम हो


तुमने न जाना कितना 

तुमको प्यार किया 

मेरी इबादत 

कल भी तुम थे 

आज भी तुम हो


बेखबर बनते हो 

खबर हो के भी

मेरी किस्मत 

कल भी तुम थे 

आज भी तुम हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract