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Pooja Kalsariya

Abstract

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Pooja Kalsariya

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एक कविता हर माँ के नाम...

एक कविता हर माँ के नाम...

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एक कविता हर माँ के नाम....

घुटनों से रेंगते -रेंगते, 

कब पैरों पर खड़ा हुआ। 


तेरी ममता की छाँव में,

जाने कब बड़ा हुआ,

काला टीका दुध मलाई,

आज भी सब कुछ वैसा है। 


मैं ही मैं हूँ हर जगह 

प्यार ये तेरा कैसा है !

सीधा-साधा, भोला-भाला, 

मैं ही सबसे अच्छा हूँ। 


कितना भी हो जाऊँ बडा, 

'माँ !'मेैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।


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