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Himanshu Sharma

Abstract

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Himanshu Sharma

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आतंक का ख़ात्मा

आतंक का ख़ात्मा

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आज तस्वीरों से ही देखे मैंने

उन नवजातों के विरूपित शव

पिता हूँ तो महसूस किया मैंने

माताओं का रुदन और कलरव


उन्होनें तो बस अपने आका का

मृत्युदंड का हुकुम बजाया था

ये कुकृत्य करते समय क्या उन्हें

दया-भाव लेश मात्र न आया था


स्वचालित हथियार लेकर के वो

नर-पिशाच अंधा-धुंध चलाते हैं

बीमार माँओं के साथ-साथ वो

नवजातों को काल-ग्रास बनाते हैं


इंसानियत का ये रुदन मौन न था

खड़ा आँसूं लिए वहां कौन न था?

मित्रों का देश है वो मदद करेंगे

पेश मित्रता की मिसाल अदद करेंगे


आतंकियों ने त्रास हमें भी किया है

अपनों को छीन हमसे भी लिया है

क़ौमी दहशतगर्दी जल्दी ख़त्म होगी

मिट जाएंगे इस रोग से ग्रस्त वो रोगी


इसे मिटाने को खड़ी यहाँ सरकार है

बस हमें एक अदद हाथ की दरकार है।


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