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Atul Kast

Abstract

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Atul Kast

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पुलवामा हमला

पुलवामा हमला

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शेर के मुंह में पंजा देकर गलती भारी कर बैठे

पुलवामा में धोखे से फिर नापाकी हरकत कर बैठे


 मानवता शर्मसार हुई यह कैसा नंगा नाच किया

मानव को मानव बम बना कर मानव का संहार किया


उन बच्चों का क्या कसूर जो अजन्मे ही अनाथ हुए

 हाय सुनो उन विधवाओं की जिनके फेरे अभी सात हुए


 सिद्ध हुआ वहशी दरिंदों हिंसक रूह तुम्हारी है

 बर्बरता की यह कहानी कई 100 साल पुरानी है

 

सोच तुम्हारी बदलो यह पुख्ता कि राज दशहतगरदो का आएगा

यह भारत पहले जैसा नहीं जो जीता रंण लौटाएगा

 

यहां 56 इंची सीना है जो प्रत्यावर्तन करता है

 उरी हमले का आवर्तन तब सर्जिकल स्ट्राइक से मिलता है


 गफलत में हो कि हर मसला यूएनओ में जाएगा

 हर आतंकी जो दिखा सामने सीधा मारा जाएगा


 सावधान हो जाओ दुष्टों हमें सबक सिखाना आता है

 अफजल और कसाबो' को सूली पर चढ़ाना आता है


विश्व पटल पर दिवालिए का तमगा तुम पर जड़ा हुआ

 दर-दर भीख मांगते फिरते फांका रोटी का पड़ा हुआ


 औकात तुम्हारी बची है क्या जो हम से भिड़ने आते हो

 हर युद्ध में बारम्बार देखो कैसे मुंह की खाते हो


 कायरता से वार किया गर सामने आ जाते

 कसम हमें पावन माटी की जीते जी ना जा पाते


देश में बैठे जय चंदों दो कान खोल कर सुन लो तुम

 कह दो अपने आकाओं से मौत की आहट सुन लो तुम


भारत मां के वीर सपूतों की रणभेरी हुंकार है 

भोर कराची है फतेह संध्या इस्लामाबाद है।


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