STORYMIRROR

Aarti Sirsat

Abstract

4  

Aarti Sirsat

Abstract

विश्वास

विश्वास

1 min
277


 

कभी किसी को किसी

से जोड़ देता हूँ...!

तो कभी किसी को 

तोड़ देता हूँ...!!


कोई मुझे अपना 

बना लेता है...!

तो कोई अपने सपने में 

भी नहीं आने देता हैं...!!


मुझसे ही बंधीं हैं 

सच्चे रिश्तों की डोर...!

रातों के बाद में ही 

लाता हूँ नई भोर...!!


आँखों में देख के कोई

मुझे जान ले...!

कोई बिन बोले

मुझे पहचान ले...!!


खामोशी का मतलब 

मैं जानता हूँ...!

इसलिए हर किसी के

साथ मैं नहीं हूँ...!!

  

  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract