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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Others

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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असमान जनसंख्या वितरण के कारक

असमान जनसंख्या वितरण के कारक

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इस सारे जग में जनसंख्या का ,

जान लीजिए वितरण है असमान।

आर्थिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और

 सामाजिक कारकों का हम कर लें ध्यान।


नदियों की घाटियां हैं बसी सघन जगत में,

इसके कारणों पर देते हैं जो हम ध्यान।

दैनिक उपयोग और खेती-बाड़ी के हित,

जल - उपलब्धता यहां होती है आसान।

औद्योगिक इकाइयों को जल की जरूरत,

नदी-परिवहन होता है सस्ता और आसान।

जल-उपलब्धता एक प्रमुख भौगोलिक कारक,

सदा रखना है हम सबने ही इस बात का ध्यान।


समतल - भूतल तो दूजा होता है भौगोलिक कारक,

करना खेती- उद्योग लगाना, है इन क्षेत्रों में आसान।

रेल बिछाना-सड़क बनाना, है तुलनात्मक सरल कहीं

उन जगहों से जो पहाड़ी या दूजे ऊबड़-खाबड़ स्थान।

समतल भू-भागों में अक्सर होती है सघन जनसंख्या,

ऊबड़-खाबड़ भू-भाग बसे होते, विरल या फिर वीरान।

समतल भू-भागों में सबको हैं मिलती ज्यादा सुविधाएं ,

विकसित हो आधारभूत ढांचा, होता है जीवन आसान।


उपजाऊ -मृदा और अनुकूल जलवायु कारक सकारी,

कहे जाएंगे भौगोलिक कारक नंबर तीन और चार।

गहन खेती संभव हो जाती है सदा उपजाऊ मृदा में,

अनुकूल जलवायु क्षेत्र में रहने से सबको होता प्यार।

ऐसे दोनों क्षेत्रों में होती है बड़ी ही सघन जनसंख्या,

अनुपजाऊ या अति ठंडे-गर्म क्षेत्र हों विरल या वीरान।

उद्योगों को आपूर्ति कच्चा माल ,और उत्पाद को बाजार

अनुलोमानुपात सुविधा और एवं सघनता में हम लें मान।


 जन-वितरण का आर्थिक कारक तो अति विशिष्ट है,

धन के पीछे सदा रहा भागता प्राय: ही ये सारा जहान।

जिन क्षेत्रों में उद्योग हों विकसित, लोगों को देते रोजगार,

कुशल, अर्ध-कुशल कर्मियों को आकृष्ट करते ऐसे स्थान।

प्रचुर खनिज उपलब्धता के क्षेत्रों में हैं पनपते बहु उद्योग,

स्वास्थ्य-शिक्षा-परिवहन सुविधाओं के बनते हैं नगर महान।

नगर आकर्षित करते ग्रामीणों को इन सुविधाओं की बदौलत,

नगरों में मिलना रोजगार और सुविधायुक्त जीवन है आसान।


इस दूसरे असमान वितरण के बाद चौथे -तीसरे को लेवें जान,

सामाजिक-सांस्कृतिक होते हैं ये, हम देवें इस पर कुछ ध्यान।

उत्तम पर्यटन-स्थल होते प्राय: धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व वाले,

खान-पान, आवागमन, व्यवसाय देकर प्रमुख बन जाते ये स्थान।

रहना चाहते हैं सभी जहां राजनैतिक-सामाजिक रूप से हो शांति,

अशांत क्षेत्रों से जाते पलायन कर, आतंक हो भागते बचाने को जान।

शाश्वत सत्य परिवर्तन संसार का, पूर्ववत कुछ न रहता जगत में कभी,‌

विविध कारकों से होता प्रवास भी सतत, जन वितरण होता है असमान।


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