अश्व
अश्व
घोड़ा गाड़ी के अश्वों की जुड़वां सी दिखती अति सुन्दर जोड़ी,
सारथी अश्वों की लगाम पकड़े खड़ा बड़े गर्व से,
चित्रकार शेख़ मुहमम्द अमीर की है ये अनुपम कृति।
अश्व है सबसे तेज़ दौड़नेवाला, ताकतवर, भावनात्मक,
प्यार की भाषा समझनेवाला, अत्यन्त वफ़ादार पशु,
रहा इसी कारण यह सवारी का सबसे प्रिय साधन आदि काल से,
राजा हो या रंक सभी की सेवा में रहा सदैव यह तत्पर,
हल्दीघाटी युद्ध में धायल हुऐ चेतक ने ली अन्तिम साँस तभी
जब पहंचा दिया महाराणा प्रताप को सुरक्षित स्थान पर।
इक्का, तांगा थे अत्यंत प्रचलित सार्वजनिक परिवहन के
साधन,
निजी सवारी के लिये भी प्रयोग होता था घोड़ा गाड़ी का बीसवीं सदी तक,
आधार पर संपन्नता की होते थे दो या चार अश्वों के निजी वाहन,
अंग्रेज़ वायसराय की बग्गी को थे खींचते छ: सुन्दर सजे हुए अश्व,
उसी राजसी बग्गी में पधारते हैं स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपति,
करने झंडारोहन गणतंत्र दिवस पर।
नहीं रहा इक्कीसवाीं सदी में अब अश्व परिवहन का साधन,
परन्तु हैं आज भी लोकप्रिय घुड़दौड़, घुड़सवारी व पोलो आदि खेल,
समुद्र किनारे मरीन ड्राइव पर हैं आज भी दुल्हन सी सजी विक्टोरिया,
दौड़ाते जिसे बड़े ही आकर्षक अश्व, उठाते आनन्द इसका देसी, विदेशी पर्यटक।।