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Babu Dhakar

Classics Inspirational

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Babu Dhakar

Classics Inspirational

अपवाहें

अपवाहें

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अपवाहें सुनकर वाह क्या कह दिया

बार बार हमारे ही गले पड़ने लगी है

अरे हमने जब कह दिया कि तु खफा हैं

और तुने हमे ही बेवफा कह दिया है।


अपवाहें आज किसान आंदोलन की

न जाने क्या करवाना चाहती है

खुद सजा पाने की सोच से

अहा अहा कर आह देना चाहती है।


मैं निकला साईकिल लेकर

साथ निकली अपवाह कील लेकर

मैंने प्रीत की हवा भरी साईकिल के टायर ट्यूब में

अफवाह ने कील से मेरी साईकिल को पंक्चर कर दिया।


अफवाह टायर ट्युब की हवा में मिली

किसी की सांसों में आहें बन खिली

पिछले बीते दिन क्या इनसे अच्छे थे

जो आहें आज सवाल करने लगी।


एक दो मिल तीन हुये पर आराम करें फकीर

हाथों में नहीं बनी जिसके अमीरी की कोई लकीर

इसका जिक्र करना था तो इसकी फिक्र भी करते

यूं राहों में किसलिये बेचारे फकीर संग बुरा करते।

अफवाहें वादों की सवाल करती है


क्या नहीं किया है, उसका जवाब देती है

रखा जो राहों में पत्थर ये किसने बार बार बोलोगे

तुम तो समर्थ हो तो फिर पत्थर हटाकर ही निकललो।

अफवाहें अपार हैं पर मन के क्या जवाब है

तलब है प्यार कि पर मन बहुत बैचने हैं


क्यों चाहत में अपना मन आहत करते हो

अफवाहें है ये जब मिलेगी तो वाह भी नही कह पाओगे।


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