।।अपनी संस्कृति।।
।।अपनी संस्कृति।।
अपनी अपनी सबकी संस्कृति,
अपनी अपनी सोच विचार।
अपनी अपनी रीति रिवाजें,
अपना अपना घर संसार।
संस्कृति हमको खूब सिखाती,
जीवन कैसे जीना है।
धर्म कर्म कैसा हो अपना,
कैसा खाना पीना है।
कोई धरती को माता माने,
कोई केवल मिट्टी का गुबार।
कोई इसको देता गाली,
कोई शीश नवाता बारम्बार।
अध्यात्मिक और मानसिक विकास,
करती है ये बन कर गंगा।
अपने देश की प्यारी संस्कृति,
मानव बुद्धि को करती चंगा।
सदा सहेजो संस्कृति अपनी,
यही धरोहर है अपनी।
पुरखों के दिए हुए ज्ञान को,
अपनाओ जिंदगानी में अपनी।