अपनी निशानी छोड़ जा
अपनी निशानी छोड़ जा
गंगा जमुना की धारा,
गहरी बहती जाये।
अब तू चला जहाँ बंदे,
कौन लौट फिर आये।।
अपनी निशानी छोड़ जा,
अपनी कहानी छोड़ जा।
कौन तुझे समझायें,
नहीं लौट फिर आये।।
समय गुजरता जाये,
पीछे कब मुड़ पाये।
मौसम बीता जाये,
मौसम बीता जाये।।
कुछ तो निशानी छोड़ जा,
कुछ तो रवानी छोड़ जा।
कौन कहाँ फिर जाये,
कभी न वापस आये।।
जीवन बीता जाये,
बीता पल कब आये।
मौसम बीता जाये,
मौसम बीता जाये।।
याद सुहानी छोड़ जा,
अपनी जुबानी छोड़ जा।
प्रभु दर पर अब जाये,
क्या मुख तू दिखलाये।।
सब कुछ यहाँ रह जाये,
साथ कभी कब जाये।
मौसम बीता जाये,
मौसम बीता जाये।।