अपनी कलम से....!
अपनी कलम से....!
लिख दूं
अपनी कलम से
सुनहरा
प्यारा सा सच
बयां करूं!
बेटी पे
हो रहे दुराचार
आज मैं
खत्म कर दूं एकदम से
मिटा दूं!
होश भरी
दो-चार बातें करूँ
आज मैं
सच्चाई पे चलने से
ना डरूं!
होश में
किसको-किसको लाऊँ
कौन सुने
मेरी ज़ब मैं ही हुँ
बेहोशी में!
मातृ-पितृ
भक्ति के जैसा
कुछ नहीं
इस धरती पर
स्वर्ग-नर्क!
छोटी चींटी
परिश्रम करते-करते
एक दिन
तैयार कर देती है
नया घर!
हृदय-स्थल
जाग जाएगा मेरा आज
उथल-पुथल
करने लगा है दिल और मन
मेरा आज!
ग़र धरती
अपना घूमना बंद कर दे तो
क्या होगा
गोलियों की तरह टकराएंगे इंसान
यही होगा!
लगी आग
आज इंसा के दिल में
भभक रही
ज्वाला सी ये धरती अपनी कैसे
ठंडी होगी!
जमीन आसमान
में हर पल आश्चर्य भरा हुआ है
सच यही
हम अपना नजरिया सिर्फ एक बार
बदल लें!
क़लम अपनी
चले लोगों को सुकून दे और
मुझे भी
आनंद मिले और के सुकून को
ही देखकर!
मां जैसा
ना कोई बेटे की देखभाल करने वाला
धरती पर
ना इनके जैसा कोई दर्द सहने वाला
मुसाफिर यहां!
भूत प्रेत
यह सभी दिल के भ्रम है
गर सोचा
हर पल जिसके बारे में रोज वही
डायन-चुड़ैल!
ना डराओ
कभी भी इनके नाम से छोटे बच्चों को
ये खतरनाक
बन जाएगा बच्चे के जवान
होने तक!
सुन लो
क़भी पक्षियों की चहचहाहट तुम
प्रभु जी
आपने कितना परिश्रम करके दिन-रात
इसे बनाया!
प्रेम में
गिरना भी इंसान को जरुरी होता है
खुशी को
जो दिल से जानता पहचानता है
अच्छा है!
ये बादल
कभी इसे ध्यान से देखा है
अगर हां
तो दिल को काफी संतुष्टि होगी
ऐसा करके!
विज्ञान की
प्रयोगशाला में ज्ञान से प्रयोग
करते हैं
ज्ञान के साथ ध्यान भी काफी जरुरी
होता है!
मैथ का
क्वेश्चन तभी हल हो सकता है
जब हम
अपने मस्तिष्क पर थोड़ा सा
जोर देंगे!
आर्ट विषय
लोग फालतू समझ बैठे हैं
ये उनका
भ्रम है ये अपने दिल से
निकाल दो!
विषय सभी
एकदम अच्छे होते हैं सिर्फ नजरिया
बदल लो
जिंदगी में आप बहुत कुछ देख
सकते हो!
समय पूरा
यू ना गवाओ गीता और कुरान वेद-ग्रन्थ
पढ़ने में
जाकर जरा देखने की कोशिश करो
मेरे मालिक!
स्वच्छ शरीर
स्वास्थ्य आपका बिगड़ ही नहीं सकता
कभी भी
स्वच्छ कपड़ा हुआ तो चार चांद लग जाएगा
जीवन में!
जान जाओ
शौच ही सोच का सही स्थान है
दुनिया में
अच्छे विचार, शिष्टाचार, व्यवहार यही
भगवान है!
हरी टहनीयां
क्यूँ ये काटते हैं
हर रोज
चुपचाप कानून देख रहा
घुस लेकर!
ताले लगे
लोगों की जुबा पे
आती हसी
राजित राम रंजन को
खेल देखकर!
जीवन मिला
कुछ नया करने के लिए
फिर क्यों
उदासियों में बैठकर
रोते हैं!
जाग गया
अब सुबह का प्यारा सूरज
संदेशा दिया
तुम भी कुछ नया सृजन करो
मेरे साहिब!
सच-झूठ
दो पहलू ज़िंदगी जीने के
होते हैं
कभी कोई अपने पराए
क्यों यहां!
बीत गए
मुझे यहां आकर बरसो
क्या मिला
जब कुछ नहीं था मेरा
यहां पर!
जाग जाये
ये आंखें अपनी उजालों को देखकर
शायद क़भी
यही उम्मीद लेकर चला है
राजित राम रंजन!
व्यर्थ काम
गर कभी छोड़ दे धरती का इंसान हो
जावे महान
कुछ अच्छे कार्यों को करके इन्हें
समझाए कौन!
बोल दो
झूठ गर किसी की जान बच जाये
कभी भी
सच बोल दो ऐसी नौबत ही
ना आये !
अपनी जिंदगी
दांव पर ना लगाओ पैसों के खातिर
मेरे मालिक
आप ही हो धरती के रचयिता
भूलो मत!
परिश्रम करो
सिर्फ सोच कर हार ना मानो
जिंदगी यही
हर पल हमें सिखाती रहती है
दिन-रात!
प्यारे बच्चे
इनसे प्यार करके कुछ सीख लो
ना भूलो
बचपना को अक्लमंद हो जाने पर
एक दिन!