अपनी ही जड़ों को कटवाया
अपनी ही जड़ों को कटवाया
हर क्षेत्र में ऊंचाइयों से भी ऊपर गई
नाजुक कोमल कमजोर इन परिभाषाओं
को बदलना चाहा
स्वच्छंद स्वतंत्र बिंदास बन कर दिखाया
पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाया
अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया
धरती पर गाड़ी आकाश में विमान चलाया
मां बेटी बहन बीवी बनकर
हर रिश्ता निभाया
कुंठित सोच को हर मोड़ पर कुचलना चाहा
वहशीयों ने अपने हाथों की
कठपुतली बनाया
कभी मारा तो कभी जिंदा जलाया
पैदा होने से पहले ही कोख में मरवाया
हंसते मुस्कुराते हर दर्द को छुपाया
क्यों नासमझों ने
अपनी ही जड़ों को कटवाया।