अपनी बात सुनाओ तुम
अपनी बात सुनाओ तुम
जब कोई सुनता हो? तो अपनी बात
सुनाओ तुम।
जब कोई पूछे तो हाल बताओ तुम,
वरना, बस खामोशी में खो जाओ तुम।
जब चुप हो, तब भी तो बातें होती हैं।
आवाज ना हो पर, जज्बातें तो होती हैं।
इन खामोश बातों में रम जाओ तुम।
चार लोगों में कोई ज्यादा बोल पड़े,
दुखती रगो पर हाथ रखते, मन रो पड़े।
ऐसी महफ़िल से उठ जाओ तुम
यह दौर अजीब चला है,
सैकड़ों संबंधी कागज पर,
असलियत में कौन कहाँ मिला है।
सच में हर कोई अकेला हैं।
फिर फ़िक्र कैसी, शिकायत किससे,
अपने चुटकलों पर, आप मुस्कराओ तुम
हर हाल में खुश रह जाओ तुम।
जब कोई सुनता हो? तो अपनी बात
सुनाओ तुम।
जब कोई पूछे तो हाल बताओ तुम,
वरना, बस खामोशी में खो जाओ तुम।
